प्यासे बंदर और ग्रीन आर्मी मेम्बर
शब्दांकन: सुजित टेटे प्रिन्सिपल ब्लॉसम पब्लिक स्कूल देवरी
मैं और मेरी टीम निकल पड़े थे देवरी से ककोड़ी। घना जंगल सुनसान रास्ते, अंगरो जैसी धूप दोपहर के २:०० बजे का समय। उस बीच हमारी नज़र पड़ी कुछ बंदरो के समूह पर। मानो जैसे वे किसीकी राह देख रहे हो। हम गाड़ीसे नीचे उतरे सारे बंदर हमारे आसपास आ गए मानो जैसे हम उनके क़रीबी मित्र है।
पर वजह कुछ और थी सारे बंदर प्यासे थे। बिचारे पानी के लिए तरस रहे थे। हमारे पास पानी की एक केन थी मेरे सहकारी मित्रोंने रोड के किनारे एक गड्ढेमें प्लास्टिक पोलिथिन डाली और उसमें पानी भर दिया। सारे बंदर और उनके बच्चे पानी पीकर संतुष्ट हो गए। फ़ोटोज़ में सारी भावनायें नज़र आ रही है।
अच्छा लगता है जब किसी प्यासे प्राणी की प्यास बुझ जाए।
अच्छा लगे तो शेयर करे प्यासे प्राणी और इंसानो की प्यास बुझाए।
-सुजित टेटे,मेम्बर ग्रीन आर्मी महाराष्ट्र
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